ज़िंदगी बड़ी हसीन है !
रांझे अब तोहफें में पायल नहीं देते,
हीरे अब काला धागा पहनती हैं पैर में।
मेरी कविता गीत ग़ज़लों को लोग इश्क़ कहते हैं,
मुझे नादान पागल और दिवाना कहते रहते हैं...
समझदारी उन्हें उनकी मुबारक हो मेरे मौला,
हमें रुकना नहीं आता हम दरिया जैसे बहते हैं...
वो नहीं फिर भी हसीं है जहां मेरा,
उसकी यादों में है दिल शादमां मेरा...
अब भी खिलते हैं गुल बागों में,
अब भी नीला है आसमां मेरा...
इक प्यास सी जगी है अल्फ़ाज़ में मेरे,
वो जानता है हर एक बयां मेरा...
हिज्र उसका आजकल उदास करता है,
दिल लगता है आजकल कहां मेरा...
मैं चल पड़ा हूं बंद आंखें लिए,
जिस ओर ले चला है रहनुमा मेरा...
अजब फ़क्र है उसकी मोहब्बत,
अब तो गुमान में है गुमां मेरा...
मेरे दिल की दीवारों से पूछो कभी,
आहटें सिर्फ इसको तेरी आती हैं।
दूर होता हूं जब भी तुम्हें मिलने को,
धड़कनें मेरे दिल की मचल जाती है।।
मेरे दिल की दीवारों से पूछो कभी,
आहटें सिर्फ इसको तेरी आती हैं..
मेरे दिल पर नहीं अब है काबू मेरा,
यूं ना देखो मुझे तिरछी नजरों से तुम।
मत निहारो मुझे खोलकर जुल्फें यूँ,
न सताओ क़ातिल अदाओं से तुम।।
तेरा पलकें झुका के मुझे देखना,
ये अदा मुझको पागल बना जाती हैं।
मेरे दिल की दीवारों से पूछो कभी,
आहटें सिर्फ इसको तेरी आती हैं...